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जर्मनी के जंगलो को बचाने की एक मुहीम

  


दी डब्लू में प्रदर्शित एक डॉक्यूमेंटरी (जिसका लिंक नीचे  दिया गया है ) में जर्मनी के जंगलो में जलवायु परिवर्तन के कारण  होने कारण नुकसान को दर्शाया गया है। जर्मनी  का एक बड़ा हिस्सा जंगलो से घिरा है मगर जलवायु की मार पड़ने से यहां के जंगल सूखते जा रहे है जिससे परिस्थितिया और भी गंभीर होती जा रही है।  गर्मिया बड़ रही है और भूगर्भ जल का स्तर निचे चला जा रहा है।  इन परेशनियो को देखते हुए गोएथे विस्वविद्याल के एक वैज्ञानिक वोल्फगांग बुणगमन, जंगल अधिकारी एवं पर्यावरणविदों की सहायता से एक हल निकला है।  जर्मनी के इन जंगलो में चीड़  और बालोत के जगह ऐसे पेड़ लगाए जा रहे है जो ज्यादा गर्मी झेल और कम पानी में भी रह सके।  इसके मदद से इस देश में घटती जंगलो की समस्या से भी निजात पाया जा सकेगा। 

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Natural regeneration: a step towards restoring the forest cover

  Video link In a video(link given at the top) published in world economic forum highlights how Natural regeneration could be an effective idea to restore the forest cover. It is based upon the principle of leave the nature in its own condition so that it grows naturally and heals by itself. I does not means taking no action but instead highlights on planting more native trees in the forests.These should be no human interference in the forest cover for building made made structures. It will promote the growth of ecology and biodiversity of the nature. Again, by following this approach it is expected that it will observe 10% of annual carbon dioxide emission of  UK and quarter of  green house gas worldwide. Click on the above link to see the full video on this topic published by world economic forum.  

A road side bus

A road side bus  One day, while surfing in the countryside of a town, suddenly I found a very old bus at the side of the road in terrible condition. A bus by which at some point in time have lots of travel stories—a bus by which thousands and thousands of travelers found their way of journey and reached the destination. But one day, the trip was the last, and indeed, the bus got a fatal mishap. From then on, it is only describing its glorious past and travel history to the passers-by standing on the one side of the road. Now it is counting its last days. The story of life is also similar to the bus.

Van mahotsav week

 भारतवर्ष में जुलाई के प्रथम सप्ताह में वन महोत्सव सप्ताह मनाया जाता है | इसे के एम् मुंशी के द्वारा संन 1950 में पर्यावरण के प्रति जागरूकता फ़ैलाने के उद्देस्य से आरंभ किया गया था | प्रयावन के महत्ता बताने वाला ये महोत्सव हमें जंगलो की आवस्यकता को दर्शाता है | अतः देश  के विभिन्न राज्यों में फारेस्ट अधिकारी, करमचाइयो एवं आम नागरिको द्वारा पेड़ लगा कर इसे मनाया जाता है | आज हम ऐसे समय में आ  गए है जब  पर्यावरण एंड मौजम परिवर्तन को लेकर विस्वव्यापी चिंताए बर गयी है | सभी देशो की सरकारे  अपने अपने स्तर  पर इस छेत्र में प्रयासरत है | नयी नयी सरकारी योजनाए बनायीं जा रही है जिसका उदहारण हम झारखण्ड में एक योजना से ले सकते है जिसमे फारेस्ट लैंड  को बराने  के उद्देस्य से बिरसा हरित ग्राम योजना की शुरुवात  की गयी | जल जंगल  जमीन यही तोह सबकी पहचान है | पर वर्तमान समय में हमने जारगुक होने में थोड़ा विलम्ब कर दिया | या यु कहे तोह एक प्रमुख उक्ति के अनुसम पेड़ो को लगाने का सही समय आज से २० वरस पहले था और दूसरा सही समय अभी का है |...