प्रतिवारस 26 जुलाई को अंतरास्ट्रीय मैन्ग्रोव पारितंत्र संरक्षण दिवस मनाया जाता है। दोस्तों जैसा की आप सभी जानते ही होंगे की मैन्ग्रोव वन उन्हें कहते है जो उन जगहों में पाया जाता है जहा कोई नदी सागर में मिलती है और यह मीठे और खारे पानी के मिश्रित पानी में फलता है। इसके जड़े पानी से उचे उठी हुए और आपस में उलझी हुई होती है। हमारे देश में एक लम्बी तट रेखा होने के कारण यहाँ तटीय छेत्रो में मैन्ग्रोव वन की बहुतायत है। चलिए जानते है मैन्ग्रोव फारेस्ट के क्या क्या फायदे है।
१. यह पारम्परिक वनो की तुलना में ६-८ गुना ज्यादा कार्बन सोखते है क्योकि ये अपने जड़ो के मृदा में बहुतायत में कार्बन के भंडार को सोखे रखते है।
२. यह असंख्य जलीय जीवो के प्रजनन में सहायक होते है। इनकी जड़े उन जीवो के लिए अहम् भोजन आहार के स्त्रोत का काम करते है तथा उन्हें संरक्षण भी देते है।
३. यह असंख्य पंक्षियों का वास् स्थान व् है एवं यहाँ सभी प्रकार के अति दुर्लभ प्राणी भी मिल जाते है।
४ . यह नदियों के रास्ते आने वाले कचरे को समंदर में जाने से रोकते है जिससे समंदर में प्लास्टिक प्रदूषण एवं अन्य इसी वर्ग के प्रदूषण में कमी आती है।जिससे समुद्री जीव प्लास्टिक एवं अन्य हानिकारक तत्वों से बचे रहते है।
५ . यह वैन ग्रामीण छेत्रो में स्वरोजगार का माध्यम बनते है जैसे मत्स्य व्यापार, लकड़ी का व्यापार, कछुआ का वायर इत्यादि।
६ . यह चक्रवाती तुफानो के लिए एक बफर जोन जैसा काम करते है और तटीय छेत्रो में मृदा का कटाव और जल माल की हानि को रोकता है।
७. जलवायु परिवर्तन के कारण प्रतिवर्षा समुद्र के सतह के उठते रहने से ये उनके लिए भी एक बफर जोन का काम करते है और तटीय छेत्रो में मृदा का कटाव को रोकता है ।
इन सभी फायदों के बावजूद आज मैन्ग्रोव वनो का आस्तित्वा खतरे में जा रहा है। जिस तेज़ी से पुरे विश्व में मैन्ग्रोव वनो की कटाई हो रही है उससे जानकारों का मत है की आगामी १०० वर्षो में हम मैन्ग्रोव वनो को पूरी तरह खो देंगे। इससे पारितंत्र को बहुत नुकसान होगा।
UNEP ने मैन्ग्रोव के संरक्षण हेतु पश्चिम हिन्द महासागर में विविन्न देशो के साथ जैसे भारत श्रीलंका, सोमालिया , कयना , तंज़ानिया इत्यादि के साथ पूर्ण रूपेण कार्य रत है। हमारे देश भारत में भी वनो के संरक्षण के लिए काफी अग्रसर है और वनो के विस्तारीकरण के निति में विस्तारीकरण में मैन्ग्रोव वनो के विस्तारीकरण को ज्यादा प्रमुखता देती है। इसके साथ साथ कई स्वयं सेवी संगठन भी इस चैत्र में अभूतपूर्व योगदान दे रहे है। ये सभी सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थाए स्थानीय लोगो एवं जनजातीय के साथ जो इन वनो पर आश्रित है मिलकर मैन्ग्रोव के पेड़ो को लगाना, उसमे मत्स्य पालन करना , कछुवा पालन करना , पर्यटन के लिए नौकायन करना इत्यादि के कार्यो में लगे हुए है।
इस प्रकार हम देख सकते है की मैन्ग्रोव वन पर्यावरण एवं जलीय जीव जन्तुओ के संरक्षण का एक नेचर बेस्ड सलूशन है, और इसका संरक्षण हमारा कर्त्वय है।
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