आज हम बात करेंगे एक ऐसे भारतीय परिवार की जिन्होंने अपने भारतीय प्रशासनिक सेवा की नौकरी छोड़ पर्यावण संरक्छक बन गए । आदित्य सिंह और पूनम सिंह ने राजस्थान के सवाई माधोपुर में रणथंबोर टाइगर रिज़र्व के समिट ४० एकर की जमीन खरीदी फिर उसे उसी अनुकूल छोड़ दिया। २० साल के समय अंतराल के बाद वो जगह पूरी तरह एक जंगल के रूप में परिणत हो गया। इसके साथ साथ वह दो तालाब प्राकृतिक रूप से बन गए। इसी जंगल में फिर अन्य प्राणी जैसे नीलगाय हिरन बाघ का भी आना आरम्भ हो गया क्योकि यह जगह रणथम्बोर टाइगर रिज़र्व के समीप है। इस परिवार ने एक बहुत ही बेह्तरीह उदाहरण पेस किया है पर्यावरण और वन्य प्राणी संरक्षण के चैत्र में जो को बहुत सराहनीय कदम भी है। इस प्रकार के निजी जंगलो का विचार हमारे देश में बिलकुल नया है। हमारे देश में जो भी अन्य जंगल है वो सरकार द्वारा नियंत्रित है। पर इसप्रकार के निजी जंगलो का विचार संरक्षण के साथ साथ विभिन्न ग्रामीण छेत्रो में रोजगार के अवसर भी पैदा करता है। ये टूरिज्म को बरवा देकर लोगो को प्रकृति के प्रति जागरूक करता है। आज जहा देश में २५ प्रतिसत फारेस्ट कवर है और सरकार ने इसे ३३ प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा है ऐसे में हर भारतीय द्वारा अपने चैत्र में एक छोटा सा जंगल तैयार करना ही बहुत बरी कदम होगी। यदि आप झा रेह्ते है वह एक पेड़ ही लगा दे तो वह रहने वाले परिंदे फलेंगे फूलेंगे और पंछियो की संख्या में भी बृद्धि होगी.
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