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A sharp declining trend in carbon emission in 2020

According to a report published in DW, this year (2020) experiences a sharp decreasing trend of  carbon emission. The credit goes to lockdown imposed due to tackle noble corona virus (COVID19), which resulted in checking the traffic and industrial output, which resulted in a sharp decrease of carbon emission. Experts said that factories, transportation, aviation sectors are the major factors which causes huge pollution to the environment. Due to lockdown the pollution caused by these factors are totally checked. But when the total restriction will be lifted the situation will again return to same place. So only lockdown is not the only solution to the global climate change. It can act as temporary solutions but for a permanent it the duty of every citizen to work for it, such as work form home culture should be encouraged, limiting the usage of transportation,  using plastic free resources, encouraging the green energy platforms and minimizing the carbon footprint of every individual. 

Panna Tiger Reserve

आज हमलोग पन्ना टाइगर रिज़र्व के बारे में बात करेंगे। यह टाइगर रिज़र्व मध्य प्रदेश के पन्ना और छतरपुर जिले  में लगभग 542. 67 वर्ग किलोमीटर  फैला हुआ है। यह विंध्य पर्वत श्रेणियों के अंतर्गत  आता है। यह  रिज़र्व  पहले गंगऊ वाइल्डलाइफ सक्तुअरी के अंतर्गत आता था  जो की 1975 में बना था ।  बाद में सन 1981 में इसी वाइल्ड लाइफ सक्तुअरी के एरिया से पन्ना नेशनल पार्क  सन  1981 में अस्तित्व में आया। फिर चलकर 1994 में भारत सरकार  द्वारा इसे प्रोजेक्ट टाइगर रिज़र्व की श्रेणी में रखा गया।  और इस प्रकार पन्ना टाइगर रिज़र्व का अस्तित्वा आया।  यह टाइगर रिज़र्व पतझरी जंगलो, पठारों, और घास की हरी भरी घाटियों से भरा हुआ है जहा की प्राकृतिक सुंदरता आपका मन मोह लेगी। इस टाइगर रिज़र्व से होकर केन नदी बहती है जो की इस जंगल के सभी जीव जन्तुओ के लिए की जीवन दायिनी स्रोत है। यह आपको बाघों के अलावा तेंदुआ , नीलगाय , चिंकारा , चीतल, जंगली कुत्ते भेड़िए लकड़बग्गा भालू मिल जायेंगे।  इसे साथ साथ केन नदी घाटियों में घड़ियाल मगर एवं अन्य सरीसृप भी मिलते है। यह 200 प्रजातीओ के  विभिन्न प्रकार पंछिया पायी जाती है  जिसमे मुख्यत सरस

जर्मनी के जंगलो को बचाने की एक मुहीम

   दी डब्लू में प्रदर्शित एक डॉक्यूमेंटरी (जिसका लिंक नीचे  दिया गया है ) में जर्मनी के जंगलो में जलवायु परिवर्तन के कारण  होने कारण नुकसान को दर्शाया गया है। जर्मनी  का एक बड़ा हिस्सा जंगलो से घिरा है मगर जलवायु की मार पड़ने से यहां के जंगल सूखते जा रहे है जिससे परिस्थितिया और भी गंभीर होती जा रही है।  गर्मिया बड़ रही है और भूगर्भ जल का स्तर निचे चला जा रहा है।  इन परेशनियो को देखते हुए गोएथे विस्वविद्याल के एक वैज्ञानिक वोल्फगांग बुणगमन, जंगल अधिकारी एवं पर्यावरणविदों की सहायता से एक हल निकला है।  जर्मनी के इन जंगलो में चीड़  और बालोत के जगह ऐसे पेड़ लगाए जा रहे है जो ज्यादा गर्मी झेल और कम पानी में भी रह सके।  इसके मदद से इस देश में घटती जंगलो की समस्या से भी निजात पाया जा सकेगा।  Video Link

गुरगाओ और दिल्ली के बीच बसता जंगल

 दी डव्लू में निर्मित एक डॉक्यूमेंट्री (जिसका लिंक नीचे  दिया गया है ) में पर्यावरण को लेकर एक पर्यावण प्रेमी विजय धस्माना के महत्वपूर्ण योगदान को दर्शाया गया है। दिल्ली गुडगाँव का छेत्र को दुनिआ में सबसे प्रदुसित इलाको में गिना जाता है.  वहा अब  इनके सार्थक प्रयास से इस कंक्रीट के जंगलो  के बीच एक 380 एकर में जंगल तैयार किया गया है।  विजय जी का कहना है की इस पूरी बायोडायवर्सिटी पार्क एक बंजर जमीन पर बननी सुरु हुई और आज इसे पूरी तरह फलने फूलने में 10  साल लग गए। आज यह जंगल जैव विविधता का उदहारण पेश कर रहा है।   अब यहाँ विभिन्न प्रकार के पंखियो और सरीसृपों का प्रजनन होता है। कुछ इसी प्रकार का प्रयास राजीव सूरी के द्वारा  दिल्ली के ही डिफेंस कॉलोनी को हरा भरा करने में है जो की एक समय कुरे कचरे का ढेर बन गया था।  मगर राजीव जी के अथक प्रयास से आज वहा एक छोटा सा ग्रीन पार्क बन गया है।  इस डाक्यूमेंट्री को जरूर देखे।   DW documentary Video link

एक भारतीय परिवार का पर्यावण के लिए अभूतपूर्व प्रयास

  आज हम बात करेंगे एक ऐसे भारतीय परिवार की जिन्होंने अपने भारतीय प्रशासनिक सेवा की नौकरी छोड़ पर्यावण संरक्छक बन गए । आदित्य सिंह और पूनम सिंह ने राजस्थान के सवाई माधोपुर में रणथंबोर टाइगर रिज़र्व के समिट ४० एकर की जमीन खरीदी फिर उसे उसी अनुकूल छोड़ दिया।  २० साल के समय अंतराल के बाद वो जगह पूरी तरह एक जंगल के रूप में परिणत हो गया।  इसके साथ साथ वह दो तालाब प्राकृतिक रूप से बन गए।  इसी जंगल में फिर अन्य प्राणी जैसे नीलगाय हिरन बाघ का  भी आना आरम्भ हो गया क्योकि यह जगह रणथम्बोर टाइगर रिज़र्व के समीप है।  इस परिवार ने एक बहुत ही बेह्तरीह उदाहरण पेस किया है पर्यावरण और वन्य प्राणी संरक्षण के चैत्र में जो को बहुत सराहनीय कदम भी है। इस प्रकार के निजी जंगलो का विचार हमारे देश में बिलकुल नया है। हमारे देश में जो भी अन्य जंगल है वो सरकार द्वारा नियंत्रित है।  पर इसप्रकार के निजी जंगलो का विचार संरक्षण के साथ साथ विभिन्न ग्रामीण छेत्रो में रोजगार के अवसर भी पैदा करता है।  ये टूरिज्म को बरवा देकर लोगो को प्रकृति के प्रति जागरूक करता है। आज जहा देश में २५ प्रतिसत फारेस्ट कवर है और सरकार ने इसे ३३ प्र

Green movement in Indian Railways

 दोस्तों जैसा की हम सभी आज के पर्यावरण के असंतुलन से परिचित है और हम सभी अपने अपने तरफ से जो भी संभव हो छोटा छोटा प्रयास कर रहे है।  इसी कड़ी में भारतीय रेलवे भी कदम से कदम मिला कर आगे बर रही है। आज सरकार द्वारा कई रेलवे के चैत्र में पर्यावण को मद्दे नजर रखते हुए कई क्रन्तिकारी निर्णय लिए जा रहे है।  आज रेलवे  इंजिन क़ी  बिद्युतीकरण की निति को अपना  कर कई मार्गो में सफलपूर्वक इलेक्ट्रीक  इंजिन का प्रयोग कर रही है और धीरे धीरे डीज़ल इंजिन की उपयोगिता को घटा रही है। सरकार द्वारा २०३० तक में रेलवे के द्वारा जीरो कार्बन एम्मिशन के लक्ष्य को रखते हुए सभी रेलवे के कोच में बिओटोइलेट की सुविधा का होना, tube lights के जगह LED लाइट्स का प्रयोग करना, train को ज्यादा energy efficient बनाना जिससे इसमें काम बिजली की खपत हो, इत्यादि सम्मिलित है।  इसके साथ साथ रेलवे द्वारा अपनी भूमि पर सोलर पावर स्टेशन और पवन ऊर्जा के पावर स्टेशन (जो की नवीकरणीय ऊर्जा के स्रोत है ) को बनाना निहित है जिससे ट्रैन और स्टेशन इन जगहों की बिद्युत की आपूर्ति की जा सकें।  इसके साथ साथ स्टेशन और उसके परिसर में  में roof top सोलर

15 minute city plan to create a green city

                                    वर्ल्ड इकनोमिक फोरम में जारी वीडियो (जिसका लिंक ऊपर दिया गया है ) में फ्रांस की राजधानी पेरिस में पर्यावरण को लेकर एक मत्वाकांशी योजना को दर्शाता है। इसे 15 मिनट सिटी पेरिस कहा गया है।  यह इस विचार पर आधारित है की शहर के संरचना कुछ इस प्रकार की जाएगी ताकि आपकी जरुरत की हर चीज़ शहर के 15 मिनट पैदल के दुरी में उपलब्ध रहेगी।  यह कदम सड़कों में परिवहन की संख्या को कम  कर प्रदूषण के स्तर  को काम करने का उपाय है। इसके साथ साथ सरकार परिवहन के लिए उपलब्ध पार्किंग को भी सिमित कर सड़को में बाइसिकल के लिए लें भी बनाएगी। ये आज की बरती पर्यावण की समस्या को देखते हुए एक मत्वपूर्ण कदम है। इस परियोजना को हमारे देशो में लगाया जाना चाहिए और साइकिल पर निर्भरता को बराय जाना चाहिए। पर सरकार से पहले ये स्थानीय नागरिको का दायित्वा है की वो इन उपायों को बढ़ावा दे और स्थानीय तौर पर इन्हे प्रयोग में लाये।